हीमोफीलिया की सटीक पहचान और उपचार
सेहतराग टीम
हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रोग है जिसे सटीक उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए इसके बारे में सही जानकारी होना आवश्यक है। आंकड़ों के मुताबिक 10 हजार जन्म लेने वाले शिशुओं में से प्राय: एक को यह बीमारी होती है, हमारे ब्लड में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं जिनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जो हमारे शरीर में रक्त के स्राव को रोकते हैं ये प्रोटीन ब्लड क्लॉटिंग अर्थात रक्तस्राव की जगह थक्का बनाने में उपयोगी होते हैं जिन्हें क्लॉटिंग फैक्टर कहा जाता है।
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फैक्टर-8 की कमी से हीमोफीलिया A जबकि फैक्टर -9 की कमी से हीमोफीलिया B हो जाता है। हीमोफीलिया के लक्षण पुरुषों में दिखाई देते हैं, जबकि महिलाएं इसकी वाहक होती है।
यह एक ऐसा रोग है जिसके लक्षण बचपन से ही बच्चों में दिखाई देते हैं , चोट लगने या फिर जोड़ों में रक्तस्राव की वजह से दर्द एवं सूजन आ जाती है जिससे घुटनों ,कलाई और टखनों के जोड़ प्रभावित होते हैं। कई बार पेट या ब्रेन में ब्लीडिंग होने की वजह से व्यक्ति की जान जाने का खतरा भी रहता है।
हीमोफीलिया की पहचान जागरूकता से आसानी से की जा सकती है और इससे होने वाले खतरों से आसानी से बचा जा सकता है और मरीजों और उसके अभिभावकों को बीमारी के बारे में सही जानकारी होने पर संदेह या भ्रम को दूर किया जा सकता है जिससे रोगी की देखभाल अच्छे तरीके से हो सके।
हीमोफीलिया की पहचान कैसे करें:
- चोट लगने पर रक्त स्राव रुक ना रहा हो।
- शरीर में त्वचा के नीचे ब्लड जमने से वह स्थान नीला पड़ गया हो।
- जोड़ों में दर्द के साथ सूजन हो।
- मसूड़ों में देर तक रक्त स्राव हो रहा हो।
- नाक और पेशाब से खून आ रहा हो।
उपचार:
- सही जानकारी एवं जागरूकता
- घरेलू उपचार
- फिजियोथेरेपी
- दवाईयां एवं इंजेक्शन
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